हमारा पर्यावरण
फौजी चाचा के बगीचे में रवि, डेविड, आयुष, रानी और रजिया खेल रहे थे। वहां अनेक तितलियां उड़ रही थी तथा पेड़ो पर चिड़िया भी चहचहा रही थीं। रवि ने पूछा- यहां तो खूब तितलियांट एवं चिड़िया हैं। मेरे घर में तो एक भी नजर नहीं आती। रानी ने कहा-- तेरे घर में पेड़ है क्या? रवि ने कहा-- नहीं। अचानक रवि पौधे के पास बैठकर फूल एवं पतियों को तोड़ने लगा। आयुष ने उसे ऐसा करने से मना किया, लेकिन रवि नहीं माना। डेविड ने कहा-- पौधों को नुकसान पहुंचाना अच्छी बात नहीं है। चाचा देखेंगे तो वह हम सब को डांटेगे। पौधों को पानी दे रहे फौजी चाचा ने बच्चों की बातें सुन ली। पास आकर वे बोले--बेटा आप लोग झगड़ा क्यों कर रहे हैं? बच्चे चुप हो गए। चाचा ने वहां गिरे पत्तों एवं फूलों को देखा। वे सारी बात समझ गए। पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाया है। यह कैसे ठीक होगा? उसने सोचा और प्रण किया कि--- ⭐ मैं अधिक से अधिक वृक्ष लगाऊंगी। ⭐ मैं पॉलीथिन का उपयोग नहीं करूंगी। ⭐ मैं जहां तक संभव होगा खनिज तेल चलित वाहनों का प्रयोग कम करूंगी। ⭐ मैं गंदे पानी का निपटारा उचित तरीके से करूंगी।